Tuesday, July 28, 2009

यहां कुछ फैसले....... शशिप्रकाश

यहां चिप्पियों-पैबन्दों को
अलविदा कहें
पुराने रिश्तों-दोस्तियों
की कमीज़ों को ही
फेंक दें घाटियों में।
यहां
कुछ रुके हुए फ़ैसलों को
दौड़ा दें ढलानों पर
तेज़ गति से,
या तो पहुंचे
किसी मुकाम तक
या दुर्घटनाग्रस्‍त हो जायें
-यह सोचकर।

जो सोच रहे हैं
कि आखि़र जियेंगे कब,
वे चाहें तो
जियें यहीं रुककर
या सिर्फ़ जीने के लिए जीने वालों की
बस्ती में चले जायें।
सिर्फ जीने के लिए जीने के खिलाफ़
लड़ना ही
जिनका जीना है
वे बांधें सामान
कल मुंह अंधेरे ही हम
यहां से आगे निकल जायें।

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